समुद्र की मछलियां
सीलोकेंथ
नीले रंग की सीलोकेंथ के शरीर पर कहीं कहीं सफेद रंग भी पाया जाता है. इस के फिंज मांसल, पूंछ अजीब सी तथा शरीर भारी शल्कों से ढका होता है. इसे विकास के आरंभिक दौर में पाई जाने वाली मछलियों का प्रतीक माना जाता है.
वैल्श
वैल्श बड़ी नदियों के ठहरे पानी में पाई जाने वाली मछली है. यह अधिकतर पूर्वी तथा पश्चिमी यूरोप में पाई जाती है. वैल्श 5 मीटर लंबी, 300 किलोग्राम वजनी, शल्करहित, लंबी मूंछों वाली तथा दिखने में भद्दी मछली है. वैसे तो यह समुद्र में पाए जाने वाले अपने से छोटे प्राणियों का शिकार करती है लेकिन मौका मिलने पर यह मनुष्य के बच्चों को भी खा जाती है.
हिंद महासागर तथा पश्चिमी प्रशांत महासागर के उथले पानी में पाई जाने वाली जहरीली मछली है और ‘स्पाइडर फिश’ के परिवार की सदस्य है. खतरा महसूस होने पर यह अपने शरीर को कठोर कर शरीर के कांटों को खड़ा कर लेती है. इस के कांटे विषग्रंथियों से जुड़े होते हैं. जैसे ही कोई प्राणी इन कांटों के संपर्क में आता है, स्टोनफिश इन कांटों के जरिए उस प्राणी के शरीर में जहर छोड़ देती है जो तुरंत फैल जाता है. इस का शिकार असहनीय दर्द महसूस करता है तथा हार्ट अटैक के साथ उस की मृत्यु हो जाती है. मनुष्य अगर इस के जहर से बच भी जाए तब भी प्रभावित अंग स्थायी रूप से बेकार हो जाता है.
कटल फिश
कटल फिश दुनिया की एक ऐसी अनोखी मछली है, जिस के एक दो नहीं, पूरे 3 दिल होते हैं. इस के 2 दिल गिलों के पास होते हैं, जो अशुद्ध खून को गिलों तक पहुंचाते हैं. यह खून शुद्ध हो कर तीसरे दिल के जरिए सारे शरीर में पहुंचता है.
कत्थई रंग की इस मछली का शरीर थैलेनुमा संरचना से घिरा होता है, जिसे ‘मेंटल’ कहते हैं. इस के सिर के एक सिरे से पतले पतले टैंटेकल्स निकले होते हैं, जो 8 भुजाओं का काम करते हैं. कटल फिश इन्हीं टैंटेकल्स की सहायता से अपने शिकार को पकड़ती है. मेंटल के दूसरी ओर पाए जाने वाले फिन तैरने में सहायता करते हैं.
चिचलिड्स
मूल रूप से अफ्रीकन प्रजाति की यह मछली एक्वेरियम में पाली जाने वाली मछलियों में सब से बुद्धिमान मछली मानी जाती है. चिचलिड्स की लगभग 1 हजार प्रजातियां पाई जाती हैं. यह आकार में 7.5 सेंटीमीटर से कुछ अधिक लंबी होती है. यह अन्य मछलियों द्वारा किए गए अतिक्रमण को सहन नहीं करती तथा उत्तेजित होने पर एक्वेरियम के निचले हिस्से को तोड़ देती है अथवा आसपास उगे पौधों को जड़सहित उखाड़ डालती है. बनेबनाए भोजन के बजाय इसे ताजे मांस के छोटे छोटे टुकड़े खाना ज्यादा पसंद है. चिचलिड्स अपने अंडों को अपने मुंह में रखती है. अंडों से बाहर आने पर बच्चे मां के आसपास ही रहते हैं तथा खतरा महसूस होने पर मां के मुंह में जा कर छिप जाते हैं.
पर्च
इसे आरोही मछली के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि इसे पहली बार एक खजूर के पेड़ पर पाया गया था. पर्च समूचे भारतीय प्रायद्वीप में पाई जाने वाली ताजे पानी की मछली है. पर्च की सब से बड़ी विशेषता यह है कि यह हमेशा एक बेहतर घर की खोज में लगी रहती है.
अन्य मछलियों की तुलना में पर्च के शरीर में एक विशेष अंत: अंग होता है जिस की सहायता से यह पानी के बाहर भी सांस ले सकती है, हालांकि इस के गलफड़े पूरी तरह से विकसित नहीं होते, जिस कारण इसे सांस लेने के लिए बारबार पानी की सतह पर आना ही पड़ता है. पानी के दूषित अथवा स्थिर हो जाने पर यह नए घर की तलाश में पानी से बाहर आ जाती है. पानी के बाहर यह लगभग 12 घंटे या जब तक कि इस के गलफड़े सूख न जाएं, जीवित रह सकती है. पर्च में कांटों की अधिकता होने के कारण पक्षी इसे खाना पसंद नहीं करते l
यह मछली दक्षिणपूर्व एशिया में पाई जाती है. जलधाराओं के पास स्थित किसी पेड़पौधे पर आर्चरफिश जब किसी कीट पतंगे अथवा उन के लार्वा को देखती है तो यह उस पर निशाना साध बड़े वेग के साथ जल की धारा फेंकती है, जिस से शिकार पानी में गिर कर अचेत हो जाता है. मौके का फायदा उठा कर आर्चर फिश उसे निगल जाती है. आर्चर फिश के ऊपरी जबड़े में एक संकरी गुफा होती है, जिसे यह जीभ की सहायता से एक पतली ट्यूब जैसा बना लेती है. फिर ‘गिल फ्लैप्स’ की सहायता से इस नली द्वारा जल की धारा तीव्र वेग से शिकार पर फेंकी जाती है. किसी कुशल निशानेबाज की तरह आर्चर फिश का निशाना कभी नहीं चूकता.
एनाब्लेपीड
4 आंखों वाली एनाब्लेपीड नामक इस मछली की प्रत्येक आंख 2 भागों में विभाजित होती है. इसीलिए इसे 4 आंखों वाली मछली कहा जाता है यह मछली पानी की सतह के पास रहती है और इस की आंखों का विभाजक भाग जल के स्तर के समरूप होता है. इस से आंख का ऊपर वाला हिस्सा बाहर तथा नीचे वाला हिस्सा पानी के भीतर आसानी से देख सकता है l
पोरक्यूपाइन (साही मछली)
पोरक्यूपाइन फिश प्रशांत, हिंद तथा अटलांटिक महासागरों के ऊष्णकटिबंधीय इलाकों में पाई जाती है. यह मछली रेतीले इलाकों के छिछले पानी को अपना घर बनाती है. खतरा महसूस होने पर यह अपने शरीर को फुला लेती है, जिस से इस के शरीर के कांटे भी उभर आते हैं.
साही मछली का मुंह चोंच की तरह होता है जिस कारण यह मछली समुद्री घोंघों, केकड़ों आदि को आसानी से खा सकती है l
दक्षिणी चीन में पाई जाने वाली यह मछली आकार में महज 5 से 8 सेंटीमीटर लंबी होती है. यह चीन में अमोच के बालू तटों के किनारे पाई जाती है. रेतीले किनारों पर यह ज्यादा समय व्यतीत करती है, इस का भोजन औरगैनिक के हिस्से तथा छोटे प्लवक हैं जो सांस के साथ इस के मुंह में जाते हैं.
लेंसलेट का शरीर दबा हुआ सा होता है तथा इस के प्रत्येक किनारे पर निशान बने होते हैं. लेंसलेट की विशेषता यह है कि न तो इस के खोपड़ी होती है और न ही दिल l
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