माउंट आबू के दिलवाड़ा जैन मंदिर की जानकारी – Dilwara Jain Temple Mount Abu In Hindi - General knowledge

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Saturday, August 29, 2020

माउंट आबू के दिलवाड़ा जैन मंदिर की जानकारी – Dilwara Jain Temple Mount Abu In Hindi

माउंट आबू के दिलवाड़ा जैन मंदिर की जानकारी – Dilwara Jain Temple Mount Abu In Hindi 


🏀 दिलवाड़ा जैन मंदिर मंदिर राजस्थान की अरावली पहाड़ियों के बीच स्थित जैनियों का सबसे सबसे सुंदर तीर्थ स्थल है। इस मंदिर का निर्माण 11 वीं और 13 वीं शताब्दी के बीच वास्तुपाल तेजपाल द्वारा किया गया था। यह मंदिर अपनी जटिल नक्काशी और हर कोने से संगमरमर से सजे होने के लिए प्रसिद्ध है।

दिलवाड़ा जैन मंदिर कहाँ है

माउंट आबू जैन मंदिर राजस्थान के एकमात्र हिल स्टेशन माउंट आबू से लगभग 2½ किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं। 

माउंट आबू के दिलवाड़ा जैन मंदिर किसने बनवाया – Dilwara Jain Mandir Kisne Banaya In Hindi

🏀इस जैन मंदिर का निर्माण 11 वीं और 13 वीं शताब्दी ईस्वी में विमल शाह द्वारा करवाया गया था और यह ढोलका के जैन मंत्रियों, वास्तुपाल-तेजपाल द्वारा डिजाइन क्या गया था। यह मंदिर जटिल संगमरमर की नक्काशी के लिए जाने जाते हैं।

दिलवाड़ा जैन मंदिर का इतिहास – Dilwara Jain Mandir History 

🏀इस मंदिर का निर्माण चालुक्य वंश द्वारा 11 वीं और 13 वीं शताब्दी ईस्वी में किया गया था। 

🏀इस मंदिर की छत, द्वार, स्तंभ और पैनल में बहुत ही बारीकी से साथ नक्काशीदार सजावट की गई है, जो इसकी वास्तुकला की अद्वितीयता को बताते हैं। 

🏀इस मंदिर की सबसे हैरान कर देने वाली बात यह है कि उस ज़माने में 1200 मीटर की ऊंचाई पर संगमरमर के इतने बड़े ब्लॉकों को ले जाने की कोई सुविधा नहीं थी। तब हाथियों का इस्तेमाल करके उनकी पीठ पर अम्बाजी से माउंट आबू तक संगमरमर ले जाने का काम किया जाता था।

दिलवाड़ा मंदिरों की वास्तुकला – Dilwara Temples Architecture In Hindi

🏀जैन मंदिरों की वास्तुकला नगर शैली से प्रेरित है और प्राचीन पांडुलिपियों का एक संग्रह है। दिलवाड़ा मंदिरों में एक ही आकार के पांच मंदिर शामिल हैं, और ये सभी एकल मंजिला हैं। 

🏀सभी मंदिरों में कुल 48 स्तंभ हैं जिनमें विभिन्न नृत्य मुद्राओं में महिलाओं की सुंदर आकृतियाँ हैं। मंदिर का मुख्य आकर्षण ‘रंगा मंडप’ है जो गुंबद के आकार की छत है। 

🏀इसकी छत के बीच में एक झूमर जैसा ढांचा है, और पत्थर से बनी विद्यादेवी की सोलह मूर्तियाँ हैं, जो ज्ञान की देवी हैं। नक्काशी के अन्य डिजाइनों में कमल, देवता और अमूर्त पैटर्न शामिल हैं।

दिलवाड़ा मंदिरों के पाँच चमत्कार 

🏀भव्य दिलवाड़ा मंदिर में पाँच समान रूप से मंदिर बने हुए हैं जिनके नाम है विमल वसाही, लूना वसाही, पित्तलहर, पार्श्वनाथ और महावीर स्वामी मंदिर है।

 🏀यह मंदिर क्रमश: भगवान आदिनाथ, भगवान ऋषभभो, भगवान नेमिनाथ, भगवान महावीर स्वामी और भगवान पार्श्वनाथ को समर्पित हैं। 

🏀इन सभी मंदिरों में से हर एक मंदिर में मंडप, गर्भग्रह, एक केंद्रीय कक्ष और अंतरतम गर्भगृह जहाँ भगवान का निवास माना गया है। 

🏀इन मंदिरों में नवचोकी है जो नौ सजावट वाली छतों का एक समूह है। कुछ अन्य संरचनाओं में किर्थी स्तम्भ और हाथिशला भी है जो अपने जैन मूल्यों और सिद्धांतों को बताता है।

विमल वसाही मंदिर – Vimal Vasahi 

🏀विमल वसाही मंदिर पहले जैन तीर्थंकर भगवान आदिनाथ को समर्पित है। इस मंदिर का निर्माण 1021 में गुजरात के सोलंकी महाराजा विमल शाह ने करवाया था। 

🏀यह मंदिर सभी मंदिरों में सबसे ज्यादा प्रसिद्ध और पुराना है। इस मंदिर में मंडप, छत और दरवाजे हैं। इस मंदिर की पंखुड़ियों, फूलों, कमलों, भित्ति चित्रों और पौराणिक कथाओं के चित्र बहुत आकर्षित करते हैं।

🏀 विमल वसाही मंदिर एक खुले प्रांगण में स्थित है जो एक गलियारे से घिरा हुआ है। इस गलियारे में तीर्थंकरों की छोटी-छोटी मूर्तियाँ हैं। 

🏀गुढ़ मण्डप इस मंदिर का सबसे मुख्य कमरा है, जिसमे भगवान आदिनाथ की मूर्ति विराजमान है। बताया जाता है कि इस मंदिर को बनवाने में ,500 राजमिस्त्री और 1,200 मजदूरों लगे थे जिसमे 14 साल लग गए थे।

लूना वसाही मंदिर – Luna Vasahi Temple 

🏀लूना वसाही मंदिर का निर्माण 1230 में किया गया था। यह मंदिर 22 वें जैन तीर्थंकर भगवान नेमिनाथ को समर्पित है। यह मंदिर इस परिसर का दूसरा प्रमुख मंदिर है। 

🏀इस मंदिर को 1230 में दो पोरवाड भाई वास्तुपाल और तेजपाल द्वारा बनवाया गया था। मंदिर में रंग मंडप एक केंदीय हाल है। जिसमे एक वृत्ताकार रूप में तीर्थंकरों की 72 और जैन भिक्षुओं की 360 आकृतियाँ हैं। 

🏀लूना वसाही मंदिर में एक हाथीशिला भी है, जिसमे 10 संगमरमर हाथी और एक विशाल काले पत्थर का स्तंभ है, जिसको किर्थी स्तम्भ कहते हैं।

पित्तलहर मंदिर – Pittalhar Temple 

🏀पित्तलहर मंदिर यहां का तीसरा प्रमुख मंदिर है जो जैन तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव को समर्पित है। इस मंदिर का निर्माण भीम सेठ द्वारा किया गया था। 

🏀इस मंदिर में भगवान आदिनाथ की पांच धातुओं और पीतल से बनी एक विशाल मूर्ति स्थापित है। इस मंदिर के अंदर भी गर्भगृह, गुड़ मंडप और नवचौकी है।

पार्श्वनाथ मंदिर – Parshwanatha Temple 

🏀पार्श्वनाथ मंदिर एक तीन मंजिला इमारत मंदिर है जो सभी मंदिरों की सबसे ऊँची इमारत है। इसे मंडली द्वारा 1459 में 23 वें जैन तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ के समर्पण के रूप में बनवाया था। बता दें कि इस मंदिर में चार मुख्य हॉल हैं जिसकी दीवारों पर ग्रे बलुआ पत्थर की नक्काशी है।

महावीर स्वामी मंदिर – Mahavir Swami Temple In Hindi

🏀1582 में निर्मित महावीर स्वामी मंदिर 24 वें जैन तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी के समर्पण के रूप में बना है। यह मंदिर बाकी मंदिरों की तुलना में काफी छोटा है। 

दिलवाड़ा जैन मंदिर खुलने और बंद होने का समय – Mount Abu Dilwara Jain Temple Time

🏀जैन मंदिर जैन भक्तों सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक खुला रहता है और अन्य धर्म के लोगो के लिए यह दोपहर 12 से शाम 6 बजे तक खुला रहेगा। यहाँ जाने से पहले इस बात का जरुर ध्यान रखे कि इस मंदिर में किसी भी पर्यटक और तीर्थ यात्री को मंदिर परिसर में फोटो खींचने की अनुमति नहीं है।


दिलवाड़ा मंदिरों की यात्रा के सबसे अच्छा समय – Best Time To Visit Dilwara Temples In Hindi

🏀अगर आप दिलवाड़ा मंदिरों की यात्रा के लिए जा रहे हैं तो आपको बता दें कि माउंट आबू में पूरे साल अच्छा मौसम रहता है। हालांकि अप्रैल से लेकर जून के महीने गर्म होते हैं। लेकिन मानसून और सर्दियों का मौसम यह जगह घूमने के लिए बहुत अच्छी है। क्योंकि इस जगह न बहुत ज्यादा ठंड पड़ती है न बहुत ज्यादा बरसात होती है।

माउंट आबू में खाने के लिए मशहूर स्थानीय भोजन – Best Local Food In Mount Abu In Hindi

🏀माउंट आबू एक लोकप्रिय और सरल हिल स्टेशन होने के साथ प्रकृतिक शुद्ध शाकाहरी भोजन मिलने की भी खास जगह है। एक बेहद लोकप्रिय जैन तीर्थ स्थल होने की वजह से यहां पर बड़ी संख्या में शुद्ध-शाकाहारी रेस्तरां हैं, इसलिए यहां पर आपको मांसाहारी भोजन मिलने की उम्मीद काफी कम रखना चाहिए।

🏀माउंट आबू में स्थानीय राजस्थानी , पंजाबी और चीनी भोजन आसानी से मिल जाता है। लेकिन आपको पंजाबी और चीनी भोजन शहर के केंद्र के आसपास के रेस्तरां में ही मिल पायेगा। इसलिए आप यहां के स्थानीय भोजन का स्वाद ही चखें तो ज्यादा अच्छा होगा।

माउंट आबू के दिलवाड़ा जैन मंदिर कैसे पहुँचे – How To Reach Dilwara Temples Mount Abu In Hindi

🏀माउंट आबू और दिलवाड़ा मंदिर के बीच की दूरी सिर्फ 2.5 किलोमीटर है। यदि आपके पास अपना वाहन है, तो आप आसानी से मंदिर तक या तो देलवाड़ा रोड या तीर्थयात्रा मार्ग से पहुँच सकते हैं। इस मार्ग पर बसें नहीं चलती हैं, हालांकि, टैक्सी या ऑटोरिक्शा यहां उपलब्ध हैं।


🏀अगर आप दिलवाड़ा जैन मंदिर घूमने के लिए हवाई जहाज से जाने का प्लान बना रहे हैं, तो आपको बता दें कि माउंट आबू से कोई डायरेक्ट एअरपोर्ट जुड़ा नहीं है। इसका निकटतम हवाई अड्डा उदयपुर राजस्थान में है। अगर आप किसी और देश से आ रहे हैं तो आपको अहमदाबाद हवाई अड्डा उतरना बेहतर होगा, जो एक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है। इसके अलावा आप दिल्ली, मुंबई, जयपुर से उदयपुर के लिए कनेक्टिंग फ्लाइट ले सकते हैं। इसके बाद आप माउंट आबू या दिलवाड़ा जैन मंदिर पहुँचने के लिए टैक्सी या कैब ले सकते हैं।

ट्रेन के माध्यम से दिलवाड़ा जैन मंदिर माउंट आबू कैसे जाये 

अगर आप ट्रेन से सफर करना चाहते हैं तो आपको जयपुर और अहमदाबाद से माउंट आबू के लिए कई नियमित ट्रेन मिल जाएँगी। यदि आप जयपुर और अहमदाबाद के अलावा किसी दूसरे शहर से यात्रा कर रहे हैं तो हम आपको यही कहना चाहते हैं कि टैक्सी को प्राथमिकता दें क्योंकि ट्रेन से आने में आपको दिक्कत हो सकती है। आपको ट्रेन से माउंट आबू तक पहुँचने के लिए लंबे मार्ग से जाना होगा।

सड़क मार्ग से दिलवाड़ा जैन मंदिर माउंट आबू कैसे पहुंचे 

दिलवाड़ा जैन मंदिर माउंट आबू जाने के लिए आपको राज्य परिवहन की बस मिल जाएँगी। अंतर्राष्ट्रीय यात्रियों के लिए माउंट आबू पहुंचने का सबसे अच्छा तरीका दिल्ली से उदयपुर के लिए फ्लाइट पकड़ना है। यहां से माउंट आबू के लिए आपको निजी कार या टैक्सी मिल जाएगी।



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