भीम कुंड ka रहस्य जिस पर विज्ञान भी हैरान hai. (India)
छतरपुर जिले की बड़ा मलहरा तहसील से मात्र 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है प्रसिद्ध तीर्थस्थल 'भीमकुंड'। मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड में स्थित यह स्थान प्राचीनकाल से ही ऋषियों, मुनियों, तपस्वियों एवं साधकों की स्थली रही है।
🏀हमारे देश में एक ऐसा कुंड है जो देखने में तो साधारण लगता है लेकिन इसकी खासियत ये है कि जब भी आशियाई महाद्वीप में कोई प्राकृतिक आपदा घटने वाली होती है तो इस कुंड का पानी खुद ब खुद बढ़ने लगता है।
🏀 मान्यता है कि इस जल कुंड की गाथा महाभारत के काल से जुड़ी है। इसलिए शायद इस जल कुंड का नाम भीम कुंड पड़ा। कहते हैं इस कुंड की गहराई का पता आजतक कोई नहीं लगा सका है। विदेशी वैज्ञानिक, स्थानीय प्रशासन और डिस्कवरी चैनल, जिसने भी इस कुंड की गहराई नापने की कोशिश की, उसे विफलता मिली है
🏀इसी बीच उन्हें प्यास लगी और पानी कहीं नहीं मिला। तब भीम ने अपनी गदा से मारकर यहां पर कुंड बनाया जिसके कारण पानी आ गया। साथ ही इसके बारे में यह भी कहा जाता है कि ये कुंड देखने बिलकुल गदा के जैसा है। वहीं यह कुंड देखने में 40-80 मीटर चौड़ा है।
🏀इसकी गहराई को नापने के लिए बहुत बार प्रयास किया गया जिसमें एक बार विदेशी वैज्ञानिकों ने कुंड की गहराई को नापन के लिए कैमरा को 200 फीट तक अंदर भेजा लेकिन वहां भी उन्हें सफलता नहीं मिली।
🏀 कहा जाता है कि इस कुंड के पानी के नीचे का जलस्तर बहुत मजबूत है। आज भी वैज्ञानिकों के पास इस बात का कोई जबाव नहीं है कि जब कोई भी प्रलय आने वाला होता है तो इस कुंड का जलस्तर क्यों बढ़ जाता है। इस कुंड के बारे में यह भी कहा जाता है कि इसका पानी गंगा की तरह बिलकुल पवित्र है और यह कभी खराब नहीं होता, जबकि टहरा हुआ पानी धीरे-धीरे खराब होने लगता है।
🏀यह भी कहा जाता है कि इस कुंड में डूबने वाले व्यक्ति का मृत शरीर कभी ऊपर नहीं आता, जबकि आमतौर पर पानी में डूबने वाले व्यक्ति का शव एक समय पश्चात खुद-ब-खुद ऊपर आ जाता है। इस कुंड में डूबने वाला व्यक्ति सदा के लिए अदृश्य हो जाता है। भीम कुंड के प्रवेश द्वार तक जाने वाली सीढ़ियों के ऊपरी सिरे पर चतुर्भुज विष्णु तथा लक्ष्मी का विशाल मंदिर बना हुआ है।
🏀इसके आलावा इस कुंड को नील कुंड या नारद कुंड के नाम से भी जाना जाता है। बताते हैं कि एक समय नारदजी आकाश से गुजर रहे थे, उसी समय उन्हें एक महिला और पुरुष घायल अवस्था में दिखाई दिए। उन्होंने वहां आकर उनकी इस अवस्था का कारण पूछा तब उन्होंने बताया कि वे संगीत के राग-रागिनी हैं। वे तभी सही हो सकते हैं, जब कोई संगीत में निपुण व्यक्ति उनके लिए सामगान गाए।
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